Story of Sher Singh Rana
आज हम एक ऐसे राजपूत वीर की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने तुर्को की धरती में दफ़न अपने कुल के स्वाभिमान पृथ्वीराज चौहान की अस्थियाँ हिन्दुस्तान लाया l जी हां “शेर सिंह राणा” इनका जन्म 17 मई 1976 में सिसोदिया कुल में हुआ था l इनके जीवन से जुडी कुछ मुख्य शीर्षक पर हम प्रकाश डाल रहे है आप लोगो इसे अपने मित्रो से साझा करे l और इस राजपूत वीर के रिहाई की कामना करे ..
जय श्री कृष्णा l
जेल मे बंद डकेत फूलन देवी के कातिल के रूप में तो “शेर सिंह राणा” को सब जानते हे, पर देश के एक महान सम्राट के सम्मान को बनाये रखने के लिए उसने वो कर दिखाया जो न तो कोई भारतीय कर पाया न भारत सरकार, पर जब इस जेल में बंद शेर को कही से एक जानकारी मिली की अफगानिस्तान मे मोहमद गौरी की मजार के बाहर अंतिम हिन्दू सम्राट महान “पृथ्वीराज चौहान” की अस्थिया रखी गई है जिन्हें आज तक वहा जाने वाला हर शख्श अपमानित करता है ! इतना सुनते ही इस “पिंजरे में बंद शेर ” ने ठान लिया की वह उन
अस्थियो को ससम्मान हिंदुस्तान लेकर आयेगा !
देश की सबसे मजबूत जेल “तिहाड़” को तोड़ कर उन्होंने अफगानिस्तान जाने का सोचा, और उन्होंने वो कर भी दिखाया,पूरा देश अचंभित हो गया की- तिहाड़ से निकल कर वो अफगानिस्तान पहुचे तथा 812 वर्षो से अपमानित की जा रही पृथ्वीराज चौहान की अस्थियो को अपने केमरे मे डाल कर भाग निकले व वहा से अपनी माँ के नाम उन अस्थियो को कोरियर कर दिया !
भला जेल से भागने के बाद कोई अपनी जान फिर क्यों जोखिम मे डालेगा.” शेर सिंह राणा ” वो शेर है जिसने इस युग मे भी वास्तविक क्षत्रिय धर्म के अनुरूप जीवन जिया है ! ३५ साल की उम्र मे उन्होंने वो कर दिखाया जो कोई ना कर सका ! उन्होंने वो किया जो एक बेटा अपने पिता के लिए करता हे,उनकी अस्थियो का विसर्जन इसलिए मेने उन्हें सम्राट का बेटा कह कर संबोधित किया हे,
शायद पूर्वजन्म में वो सम्राट पृथ्वीराज चौहान के बेटे रहे हो और पिछले जन्म का कर्ज उन्होंने इस जन्म
में पूरा किया हो, अफगानिस्तान से लोटने बाद उन्होंने 2006 मे कोलकाता मे सरेंडर किया !
आज वो तिहाड़ की जेल नंबर २ की हाई रिस्क बेरक मे बंद है !
11 वर्षो से जेल मे बंद इस रियल हीरो के जिन्दगी के पहलु सब के साथ बांटे जय हो वीर “राणा” जी री..
फेसबुक मित्र Vikram Singh Ji Rathore के वॉल से साभार
History of Sher Singh Rana