Prithviraj Chauhan History In Hindi
उपसंहार
भारत के भाग्य में शुरू से ही फूट रही है, इस फूट के कारण कितने ही घर बर्बाद हो गए थे और और हो रहे है, इस फूट की आग में पृथ्वीराज भी नहीं बच पाय, पृथ्वीराज के अध्यापतन का यह पहला कारण था, इस फूट ने ऐसा भयानक आकार धारण कर लिया था की आपस में विद्रोह ने कितना ही भयानक धूम मचाई और कलह को जन्म दिया, उनके वीरता से कई राजा बहुत दुखित हुए थे, और उन्हें नीचा दिखने में लगे रहते थे,जरा जरा सी बातें में तलवार निकाल लेना और बात बात पर लोगो को मार गिराना पृथ्वीराज को अध्य्पतन की ओर धकेलने लगा था. ये सब बातें आपको पृथ्वीराज के पिछले भागों को पढ़ने से पता चल ही गया होगा.
पृथ्वीराज ने तो अपना समाराज्य बढ़ाने के लिए कई राज्यों के राजकुमारी से शादी किया ताकि उन राज्यों के राजाओं को पृथ्वीराज की गुलामी क़ुबूल करनी पड़े,ये सामराज्य बढ़ाने का बहुत साधारण सा तरीका था, पर ये उनके विपरीत ही हुआ, कई राज्यों से लड़ने के बाद जीत तो उनकी ही हुई पर ये जीत उन्हें बहुत महँगी पड़ी, उनके सभी नामी योद्धा मारे जाने लगे. अगर क्षत्रिय जाती में बहुपत्नी का चलन न होता तो पृथ्वीराज के कई योद्धा जीवित रहते और मुहम्मद गौरी कभी भी अपना सामराज्य भारत पर नहीं फैला पाता. पृथ्वीराज ने ग्यारह विवाह किये और कुछ विवाह को छोड़ दे तो ऐसा कोई विवाह नहीं है जिसमे दो चार हज़ार मनुष्यों की प्राणहुती न हुई हो. ये पृथ्वीराज के अध्यापतन का दूसरा कारण था.
पृथ्वीराज के अध्यापतन का तीसरा कारण था की पृथ्वीराज जितने ही वीर थे वे उतने ही अन्दर से ह्रदय के कमजोर थे, दया भाव उनमे कूट कूट कर भरे हुए थे, मुहम्मद गौरी के मगरमच्छ के आंसू को समझ नहीं पाए और बार बार उन्हें माफ़ करते चले गए. मानता हूँ की शास्त्र में लिखा है की क्षत्रिये धरम के अनुसार झुके गर्दन पर तलवार नहीं उठाया जाता है, या फिर किसी निहत्थे पर वार नहीं किया जाता है ये गुण तो पृथ्वीराज को याद थे पर शास्त्र के ये बात उन्हें क्यों याद नहीं आये की यदि सांप को मारा जाए तो उसका सर अच्छी तरह से कुचल दिया जाता है उसे अधमरा नहीं छोड़ा जाता वरना वो वापस अवश्य ही काटता है.
अध्यापतन का चौथा कारण था की एक वैश्या के फेर में पड़कर आपने वीर सेनापति कैमाश को मार देना बिलकुल ही निराशापूर्ण था.उन्होंने बिना कारण ही चामुंडराय को कारगार में डलवा दिया. इसके अतिरिक्त पृथ्वीराज का ठीक तरीके से राज शाषन न करना और भी कितने सारे कारण थे जिनके कारण उन्हें अपने देश रक्षकों से हाथ धोना पड़ा था.
यहाँ तक जो होना था वो तो हो ही गया,पृथ्वीराज के कितने ही वीर संयोगिता हरण में मारे जा चुके थे, पर उस समय भी भारत की भूमि आज की जैसे वीर शुन्य नहीं हुई थी, इतना होने के ब्बव्जूद पृथ्वीराज के पास और भी कितने ही वीर बाकि थे और उनके कारण भारत स्वतंत्रता की सांसे ले रहा था. यदि पृथ्वीराज संयोगिता को लाने के बाद एकदम से उनके प्रेम जाल में न फँसकर राज्य के काम को अच्छी तरह से देखते और राज्य का शाषण किसी और को न दे खुद ही सँभालते और संयोगिता की पास महल में न विराजते तब उनकी हार कभी भी संभव न थी, एक तरह से पृथ्वीराज ने खुद ही अपनी पैर में कुल्हाड़ी मार लिया था, वरन पृथ्वीराज को हरा पाना गौरी के वश में कभी न था. और पृथ्वीराज ही क्यों सभी राजाओं में यही बात उस समय घुस गयी थी जिसके कारण भारत को परतंत्रता का मुंह देखना पड़ा.
Untold Story Of Prithviraj Chauhan
पृथ्वीराज का अंत हुआ और इसके साथ ही हिन्दू साम्राज्य का भी अंत हुआ. और समस्त पिथोरागढ़ शोक में डूब गया.सभी को मालूम हो गया की अब दिल्ली में शत्रु किसी भी वक़्त अआते होगे. पृथ्वीराज की मौत की खबर सुनते ही संयोगिता और अनके अन्य रानियों ने सती का राह अपनाया, इधर पृथ्वीराज के पुत्र रेणु सिंह ने मुसलमानों से लड़ता हुआ वीर गतो को प्राप्त किया, और समस्त भारत परतंत्रता की जंजीर में बांध कर रह गया. अन्य कई मुसलमानों की सेना द्वारा दिल्ली लूटी जाने लगी.नगर निवासी के कत्ल किये जाने लगे और कितने ही बेड़ियों में बाढ़ दिए गए. दिल्ली नगरी को स्मशान घाट बना दिया गया. अनेक मुसलमान शाशकों के भारत आने का मार्ग खुल गया था क्योंकि अब उन्हें यहाँ रोकने वाला कोई न था.अजमेर,दिल्ली और कन्नोज को लूटने की बाद मुसलमानों ने बनारस को लूटा,और इस तरह भारत के कितने ही प्रदेश मुसलमानों के अधीन हो गया. इन घटनाओं को ध्यान से देखने पर मालूम होता है की एक अकेला पृथ्वीराज ही भारत पर मुसलमान सामराज्य स्थापित होने के प्रधान बाधक थे. उनकी ही वीरता,धीरता,युद्धनीति,के कारण इतने समय तक भारत में यवन का शासन स्थापीत नहीं हो पाता था. क्योंकि उनकी मृत्यु होते ही क्रमशः सारे राजा का अस्तित्व ख़त्म होने लगा. अगर पृथ्वीराज ने बहुपत्नी या फिर केवल संयोगिता का हरण ही न किया होता तो शायद कभी भी मुसलमान हमारे भारत पर नहीं आ पाते, जयचंद से युद्ध के बाद ही उनके ताकत खत्म होने लगी थी.संयोगिता का जन्म ही भारत के भविष्य के लिए अंधकार मय था. मैं आशा करता हूँ की आप कभी भी अपना अपने घर या अपने देश को एक स्त्री लिए कभी बर्बाद नहीं होने देंगे.